इस उपचारात्मक याचिका में दोषियों द्वारा सुप्रीम कोर्ट के समक्ष अपना पक्ष रखा जाता है जिसमें जज द्वारा चैम्बर के अंदर बैठकर परिस्थितियों के आधार पर उस पर निर्णय लेते हैं किंतु यहां कोई सुनवाई की प्रक्रिया नहीं होती यदि यह याचिका भी खारिज कर दी जाती है तब दोषी के पास राष्ट्रपति के पास क्षमादान याचना दायर करने का अंतिम विकल्प बचता है।
(लेखक एन. कुमार)